बुधवार, मार्च 07, 2012

इस बार होली में

 दिल  का टुकड़ा , रहा बरस भर घर से  बाहर
माँ  चूमे  मुखड़ा , घर  बेटा आया होली   में |

मेहँदी   छूटने  से पहले  चला गया  परदेश   जो
बिछड़ी उस विरहन से मिलने , आया  होली   में |

जिस बेटी की हुई विदाई इसी माह  के अन्दर,
पलकें भींगी राह तकेगी, इस बार   होली  में |

कल तक  रंजिश   थी  जिसको  जिस किसी  से ,
मिलकर  साथ  में ,  धो  डालो  रंजिश होली  में |

सूना है "रजनी" वो छोड़कर  फिरसे   चला जायेगा ,
जो  रंग कभी ना जायेगा,   डालो इस बार  होली में |