बुधवार, नवंबर 30, 2011

आज हंसकर बिखर जाओ फिज़ाओं में

बंद कर दो मयकदों के दरवाज़े,
वो बनकर सुरूर   छानेवाला है,
आज हंसकर बिखर जाओ,
 फिज़ाओं  में ,ऐ बहारो,
कि मेरा जान-ए - बहार आनेवाला है.

मंगलवार, नवंबर 29, 2011

मेरे मूक लबों के तिलिस्म को तोड़ देता है



     " मेरे मूक लबों के तिलिस्म को तोड़ देता है ,तेरा पलभर का मुस्कुराना,
       मेरी मुहब्बत को हवा देता है , तेरा   शरमाकर सर झुकाना.

सोमवार, नवंबर 28, 2011

ये हँसता हुआ झील का कवल

"मेरी  चलती रूकती  सांसों पर ऐतबार तो  कर,
ये हँसता हुआ झील का कवल,  मेरे बातों पर ऐतबार तो  कर,
तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह ,
बस एक बार मुस्कुरा के दीदार तो कर . "