मंगलवार, मई 04, 2010

रिश्ते बोलते हैं

रिश्ता एक ऐसी ईमारत है जो विश्वास की बुनियाद पर टिका है,कोई भी मंदिर या मस्जिद एक बार टूटकर दुबारा खड़ी की जा सकती है, पर रिश्ता की ईमारत विश्वास की नीव पर है इस विश्वास रूपी नीव के टूटने पर रिश्तों के महल पल में टूटकर बिखर जाते हैं, चूर हो जाते हैं,जीवन में हम अनेक रिश्तों से बंधें हैं,जिसमे कई रिश्तों को हम ता उम्र निभाने की सोंचते हैं बिना किसी कड़वाहट के,और उस रिश्ते को निभाने में कोई ऐसा मुकाम आ जाये जो रिश्ते को तार,तार कर रख दे तो जीवन का सफ़र बिल्कुल नीरस लगता है, टूट जाता है जीवन का सपना, हम जिस पर विश्वास कर अपने जीवन की डोर उसके हाथों में सौंप दें और विश्वास करनेवाला विश्वास तोड़ता नज़र आये, तो रिश्ते की कोई अहमियत नहीं रह जाती, अगर आप विश्वास करते हों तो विश्वास को सदा बनाये रखें, क्योंकि विश्वास की बुनियाद पर ही रिश्तों के महल टिके हैं.........जितना गहरा रिश्ता उतना ही गहरा विश्वास, और जब ये गहरे से विश्वास अचानक से टूटते हैं तो टुकड़े ही नहीं रिश्ते चूर हो जाते हैं, रिश्तों की गरिमा बनाये रखने के लिए अपने साथ जुड़े लोगों  परहमें  विश्वास बनाये रखना चाहिए और विश्वास को टूटने नहीं देना चाहिए........................................


रिश्ते 

कांच के बने होते हैं रिश्ते ,
जो ठोकर लगते ही टूट जाते हैं,
एक झटका ही काफी है,
इनके चूर होने में,
बिखर कर दूर हो जाते हैं,
टूटने में तो ये पल भी न लेते हैं,
पर बिखर कर जुड़ने में,
सरे उम्र छोटे पड़ जाते हैं,
एक नाजुक सी डोरी है रिश्ता,
जो मोम से भी कच्ची  है,
विश्वास का जो टूटे दामन,
तो पिघलने में देर नहीं लगती,
एक चिंगारी ही काफी है ,
रिश्तों को जलाने के लिए,
बड़े ही इम्तिहानों से गुजरना पड़ता है,
रिश्तों को निभाने के लिए,
कच्ची रिश्तों की  डोरी ,
कभी टूटने न पाए,
जो टूटे भी  तो जुडने में ,
 गांठ दे जाये ,
हर रिश्तों को तौलती परखती है रिश्ते,
बस विश्वास की जुबां ही बोलती है रिश्ते,
संभल कर रखना रिश्तों को,
क्योंकि,
जितनी ये नाजुक है,
हर मोड़ पे झुकती है,
पर जब टूट जाये,
तो बड़ी ही चुभती है,
टूटने में तो ये पल भी न लें,
पर जुडने में ये बरसों लेते हैं,
कांच के बने होते हैं रिश्ते,
जो ठोकर लगते ही टूट जाते हैं,
एक झटका ही काफी है,
इनके चूर होने में,
बिखर कर दूर हो जाते हैं |

"रजनी"