शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

बंद आँखों में भी मेरा दीदार हो जायेगा.



फेरते हो नज़रें मुझसे ,  बचने  के लिए
बंद आँखों में भी मेरा  दीदार हो जायेगा.

तेरे     उल्फ़त     के    मारे      हम ,
नफ़रत  भी दोगे तो  प्यार हो जायेगा .

चाहत नहीं आसमां हो मेरी मुटठी में,
तेरा आँगन ही सारा संसार हो जायेगा.

चाहत की क़ीमत न लगा  ये अनमोल   है ,
वर्ना   प्रेम    एक    व्यापार  हो   जायेगा.

अब   तक    ख़ामोश     हैं   मेरी निगाहें,
 बोल  उठी  तो सुनना  नागवार   हो जायेगा.

है   अंधेरों   से   भरी मेरी  जीवन की राहें,
साथ   दो ,  रौशन   मेरा  संसार हो जायेगा.

फेरते   हो  नज़रें  मुझसे    बचने  के लिए
बंद  आँखों में  भी  मेरा  दीदार हो जायेगा.

"रजनी"

बुधवार, अप्रैल 28, 2010

क्या खबर थी मुझको वो इतना दूर हो जायेगा.

सजदा किया जिस देवता की वो पत्थर हो जायेगा,
क्या खबर थी मुझको वो बेवफा हो जायेगा.

प्रेम का दरिया बनकर हम तो उफन पड़े ,
क्या खबर थी मुझको वो सागर हो जायेगा.

छू कर हीरा कर डाला इस बूत से जिस्म को,
क्या खबर थी मुझको वो ऐसे तन्हा कर जायेगा.

मेरे हर दर्द को पीनेवाला समझ अमृत हर घूंट को,
क्या खबर थी अश्कों का जहर वो तन्हा पी जायेगा.

रूठना तो इश्क की दुनिया का दस्तूर है,
क्या खबर थी मुझको वो इतना दूर हो जायेगा.

हर शय पर जिसने मुझको पाया इस गुलिस्तान में,
क्या खबर थी मुझको वो इतना मगरूर हो जायेगा,

सजदा किया जिस देवता की वो पत्थर हो जायेगा,
क्या खबर थी मुझको वो बेवफा हो जायेगा.

"रजनी"

मंगलवार, अप्रैल 06, 2010

और फूल मुरझा गए



हर बाग़ को तेरे जैसा बागवान मिले,
हर बाग़ में खिज़ा में भी बहार खिले.

आये थे जब तुम खिज़ा में भी बहार थी,
छोड़ गए बाग उजड़ गया , हो गया  वीरान.

अब तो बहार में भी ये लगता है  वीरान,
हर सुबह इसकी हो गयी अब  काली शाम.

हर बहार में कलियाँ तुझे याद करती हैं,
आये वही बागवान  फिरसे,  फरियाद करती है.

कलियों पर तब  छाया तेरा सुरूर था,
उन्हें अपनी महक पर तेरा गुरुर   था.

अब ना रही वो कलियाँ,ना रहा वो गुरुर,
जब से गया बाग़  का बागवान दूर.

गाते भँवरे   जब कलियों पर मंडराते थे,
कलियों के मन तब खुद पर इठलाते थे

तुम क्या गए खिल पाई ना कलियाँ,
गुमसुम  सी हो गयी इनकी दुनिया.

और फूल मुरझा गए.तुम क्या गए,
खिली ना कलियाँ,और फूल मुरझा गए.

हर बाग़ को तेरे जैसा बागवान मिले,
हर बाग़ में खिज़ा में भी बहार खिले.

तुम क्या गए खिल पाई ना कलियाँ.
और फूल मुरझा गए.

"रजनी"